किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का गठन और संवर्धन योजना की जिला स्तरीय निगरानी समिति की पहली बैठक संपन्न

FARMER PRODUCER ORGANISATIONS

किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का गठन और संवर्धन योजना की जिला स्तरीय निगरानी समिति की पहली बैठक संपन्न
रिपोर्ट - दीपक कोल्हे/अनिमेष सिंग CTN भारत, छिंदवाड़ा

किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का गठन और संवर्धन योजना की जिला स्तरीय निगरानी समिति की पहली बैठक संपन्न

छिन्दवाड़ा। भारत सरकार के कृषि, सहकारिता तथा किसान कल्याण विभाग (कृषि विपणन अनुभाग) और राज्य शासन के किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के निर्देशों के अनुक्रम में कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन की अध्यक्षता में किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) FARMER PRODUCER ORGANISATIONS का गठन और संवर्धन योजना के अंतर्गत गठित 11 सदस्यीय जिला स्तरीय निगरानी समिति की पहली बैठक आज कलेक्टर कार्यालय के सभाकक्ष में संपन्न हुई । जिसमें जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी गजेंद्र सिंग नागेश, नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधक सलिल झोकरकर, उप संचालक कृषि जे.आर.हेड़ाऊ, उप संचालक उद्यानिकी, उप संचालक पशु चिकित्सा सेवायें डॉ.एच.जी.एस.पक्षवार, उपायुक्त सहकारिता एवं पंजीयक सहकारी संस्थायें, परियोजना संचालक जिला आत्मा समिति, मंडी सचिव, सहायक संचालक मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विकास, एसआरएलएम के जिला परियोजना अधिकारी, कार्यक्रम समन्वयक कृषि विज्ञान केंद्र और भूमिजा तथा कोफे कृषक उत्पादक संगठनो के प्रतिनिधि उपस्थित थे ।

      बैठक में नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधक श्री झोकरकर ने योजना के संबंध में प्रेजेन्टेशन के माध्यम से विस्तृत जानकारी देते हुये बताया कि इस योजना के अंतर्गत नये कृषक उत्पादक संगठनों को उनके बनने की तिथि से 5 वर्ष तक हैंड होल्डिंग सपोर्ट प्रदान करने की व्यवस्था की गई है । नये कृषक उत्पादक संगठन कंपनीज एक्ट 9-अ अथवा सहकारी समितियां एक्ट के अंतर्गत पंजीकृत किये जा सकेंगे । कम से कम 300 सदस्य के साथ कृषक उत्पादक संगठन बनाये जाने पर इस योजना के अंतर्गत पात्रता रहेगी । उन्होंने बताया कि ग्राम स्तर पर 15 से 20 सदस्यों के फार्मर इंटरेस्ट ग्रुप (एफ.आई.जी.) बनाये जा सकते है और ऐसे 20 या अधिक ग्रुप मिलकर एफ.पी.ओ. का निर्माण कर सकते हैं । प्रत्येक विकासखंड में कम से कम 2 कृषक उत्पादन संगठन बनाये जाने हैं । राष्ट्रीय, राज्य तथा जिला स्तर पर बनाये गये कृषक उत्पादक संगठनों के फेडरेशन भी बनाये जा सकते हैं । ऐसे वर्तमान कृषक उत्पादक संगठन जिन्होंने भारत सरकार की किसी अन्य योजना में अभी तक लाभ प्राप्त नहीं किया है और अभी एफपीओ का परिचालन शुरू न किया हो वह भी इस योजना के अंतर्गत लाभ ले सकते है । योजना के अंतर्गत जिला स्तर पर गठित समिति का मुख्य उद्देश्य संभावितायुक्त प्रोड्यूस कलस्टरों के लिये सुझाव देना, कृषक उत्पादक संगठनों के विकास की प्रक्रिया और प्रगति को मॉनिटर करना व इस प्रक्रिया में आने वाली बाधाओं को दूर करने का प्रयास करना है।

      उन्होंने बताया कि शुरूआती तौर पर देश भर में 10 हजार नये कृषक उत्पादक संगठन आने वाले 5 वर्षों में बनाने के लिये तीन कार्यान्वयन एजेंसियों-नाबार्ड, एसएफएसी और एनसीडीसी की पहचान की गई है । इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक कृषक उत्पादक संगठन को उसके निर्माण से 3 वर्ष की अवधि के लिये अधिकतम 18 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदाय की जायेगी । कृषक उत्पादक संगठनों को इस योजना के अंतर्गत मैचिंग इक्विटी ग्रांट सपोर्ट का भी प्रावधान किया गया है जो 2 हजार रूपये प्रति किसान सदस्य होगी और अधिकतम 15 लाख रुपये प्रति कृषक उत्पादक संगठन रहेगी । एलिजिबल लैंडिंग इंस्टिट्यूशन (ई.एल.आई.) पात्र कृषक उत्पादक संगठनों को बिना कोलेटरल के ऋण प्रदान करने के उद्देश्य से नाबार्ड के पास एक हजार करोड रुपये तथा एनसीडीसी के पास 500 करोड़ रुपये की निधि से क्रेडिट गारंटी फंड भी स्थापित किया गया है । उन्होंने बताया कि नाबार्ड तथा एस.एफ.ए.सी. और एनसीडीसी द्वारा संवर्धित किये जाने वाले कृषक उत्पादक संगठनों के लिये प्रशिक्षण की अलग-अलग व्यवस्था भी की गई है ।