पुतले दहन की बनी छिंदवाड़ा की राजनीति - प्रशासन बनी नेताओ की कटपुतली  

The politics of Chhindwara made of effigy burning

पुतले दहन की बनी छिंदवाड़ा की राजनीति - प्रशासन बनी नेताओ की कटपुतली  
रिपोर्ट। दुर्गेश नरोटे, छिंदवाड़ा

पुतले दहन की बनी छिंदवाड़ा की राजनीति - प्रशासन बनी नेताओ की कटपुतली  

- धारा 144 और लॉकडाउन के नियम केवल आम जनता के लिए बने 

 

छिंदवाड़ा। छिंदवाड़ा की राजनीती भी अजीब है एक और प्रशासन के निर्देश अनुसार कोरोना महामारी के चलते धारा 144 लगाई गई है उसके बावजूद भी इस धारा का खुलेआम छिंदवाड़ा की राजनीती कर रहे नेता धज्जिया उड़ाते नजर आ रहे हे।  लगता हे प्रशासन केवल आम जनता को ही इस धारा का पालन करवाने में लगी हुई हे या फिर यु कहे की इन नेताओ की नतमस्तक बन के बैठी हुई हे 

कोई कमलनाथ के मुर्दाबाद के नारे लगा रहे तो कोई शिवराज सिंह चौहान के छिन्दवाड़ा में पुतले की सियासत के बीच इन राजनीती करने वाले नेताओ को शायद ही पता होगा की किस तरह बीते कुछ महीनो में महामारी का काल मंडराने से सेकड़ो ने अपनों को खो दिया है परन्तु इन नेताओ को इन बातो से क्या लेना इन्हे तो केवल अपनी राजनीती की रोटी सेकने से मतलब हे और मूक दर्शक बने प्रशासन के आला अधिकारी इस पर अभी तक कोई भी कार्यवाही करने नजर नहीं आ रहे हे 

बड़ा सवाल कोरोना कर्फ्यू लागु रहते फवारा चौक में पुतला दहन की अनुमति किसने दी...? और अगर बिना अनुमति पुतला दहन किया गया है तो क्या आगे प्रशासन कार्यवाही करेगा...? 

गौरतलब है एक दिन पूर्व ही प्रदेश मुख्यमंत्री ने  जनता के नाम दिए अपने सम्बोधन में साफ साफ कहा था की प्रदेश में राजनैतिक आयोजन, रैली धरना प्रदर्शन पूर्णतः प्रतिबंधित है, मगर बावजूद उसके छिन्दवाड़ा में आये दिन पुतले की सियासत तेज होती नजर आ रही  है।